मंगलवार, 27 मार्च 2012

कविता : आज का आदमी

 आज का आदमी 

हर गली घूमा हर गाँव घूमा,
हर घर एक बम वाला है .....
कब मिट जायेगें कब ख़त्म हो जायेगें,
इस को कोई नहीं रोकने वाला है .....
इधर आदमी उधर आदमी,
हर जगह आदमी ही रह रहा है.....
आदमी ही आदमी का इस वक्त,
एक दूसरे का लहू पी रहा है......

लेखक : सागर कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर  
 
 

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