मंगलवार, 17 मई 2011

कविता : वही है भगवान

 वही है भगवान
जिन्हें अपनों की परवाह नहीं ,
दूसरों से चाहत नहीं ...
इन्साफ की परवाह नहीं ,
वह अपना हिन्दुस्तान नहीं ...
जिसे अपने पेट की परवाह हीं नही ,
अपनी बीबी से लगाव नहीं ....
और अपने बच्चों से प्यार नहीं , 
वह एक सच्चा इंसान नहीं ....
जिसे सभी से प्यार हो ,
हर एक से लगाव हो ....
और सभी को सम्मान दे ,
 वह है एक सच्चा इंसान ....
वही है इस युग का भगवान ,

लेखक : अशोक कुमार , कक्षा : 9, अपना घर  

1 टिप्पणी:

  1. प्रिय अशोक
    तुम्हारी कविता बहुत पसन्द आई ।सच्चे इंसान की पहचान ठीक बताई है।कविता का भाव बहुत अच्छा है।
    सुधा भार्गव

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