बुधवार, 18 मई 2011

कविता : किरणें

किरणें 

निकलती  हैं पूरब से किरणें ,
छिपती हैं पश्चिम में किरणें ....
न जाने हैं यह कैसी किरणे ,
आसमान में भी छा जाती हैं किरणें ....
इन किरणों में है रोशनी एकत्र ,
जो सुबह से दोपहर तक फैलती सवत्र .....
निकलती हैं पूरब से किरणें ,
छिपती हैं पश्चिम में किरणें ....

लेखक : ज्ञान कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर 


4 टिप्‍पणियां:

  1. आठ्वीं कक्षा के छात्र की कविता रचना प्रयास प्रशंसनीय है।यह प्रयास निरंतर करना है।
    सुधा भार्गव

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत प्यारी रचना . बधाई . आज है मेरे बेटे सृजन का जन्म दिन ...देखें - बाल मंदिर

    http://baal-mandir.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  3. कविता रचना प्रयास प्रशंसनीय है।यह प्रयास निरंतर करना है।
    बहुत प्यारी रचना . बधाई

    जवाब देंहटाएं