रहे न बदन में लत्ता
पूरब से निकला सूरज ,
पश्चिम को जाता है ....
मध्य में जब वह आता है ,
ऐसी रोशनी फैलाता है ....
हर मानव छाया में जाता है ,
क्योंकि उस समय ऐसा लगता है .....
जैसे बदन मानव का जलता है ,
क्योंकि बदन में न होता लत्ता है .....
पूरब से निकला सूरज ,
पश्चिम को जाता है ......
लेखक :अशोक कुमार , कक्षा: 8 ,अपना घर
latta kapde main badle ye har insaan ka haq hai
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