शीर्षक - कानून हैं अन्धा
जुल्म वहाँ पर होता हैं ,
पुलिस वाला जहाँ पर सोता हैं ....
भ्रष्टाचार यही बढ़ाते हैं ,
रिस्वत लेकर चोर जुआरी छोड़े जाते हैं .....
अपनी वर्दी पर रोब जमाते हैं ,
रिस्वत लेते वह सब देखे जाते हैं .....
चोर हो चाहे हो जुआरी ,
रिस्वत लेने वाला हैं रिस्वत खोरी .....
रिस्वत लेना काम नहीं ,
यह हैं इसका धन्धा .....
इसीलिये तो कहते हैं,
कि "कानून हैं अन्धा" ......
लेखक - आशीष कुमार
कक्षा -८
अपना घर , कानपुर
बहुत सटीक लिखा है| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत बढ़िया...सच्ची रचना.
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