मंगलवार, 1 मार्च 2011

kavita - kanun hain andha

शीर्षक - कानून हैं अन्धा 
जुल्म वहाँ पर होता हैं ,
पुलिस वाला जहाँ पर सोता हैं ....
भ्रष्टाचार यही बढ़ाते हैं ,
रिस्वत लेकर चोर जुआरी छोड़े जाते हैं .....
अपनी वर्दी पर रोब जमाते हैं ,
रिस्वत लेते वह सब देखे जाते हैं .....
चोर हो चाहे हो जुआरी ,
रिस्वत लेने वाला हैं रिस्वत खोरी .....
रिस्वत लेना काम नहीं ,
यह हैं इसका धन्धा .....
इसीलिये तो कहते हैं,
कि "कानून हैं अन्धा" ......
लेखक - आशीष कुमार 
कक्षा -८ 
 अपना घर , कानपुर 


3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सटीक लिखा है| धन्यवाद|

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  2. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (2-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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