हम वतन के तुम वतन के,
इस वतन से सबको प्यार है।
हिन्दू लड़ते मुस्लिम लड़ते,
क्यों इनके बीच भेद की दिवार है।
दिवार ये है किसने बनाई,
ये जानना हम सबका अधिकार है।
जो न जाने जो न समझे,
उसका जीवन बेकार है।
हम जीते है हम मरते है,
नहीं किसी से डरते है।
हम वतन के तुम वतन के,
इस वतन से सबको प्यार है।
जिसको अपने वतन से नहीं है प्यार,
उसका इस धरती पर जीना है बेकार ।
लेखक: आदित्य कुमार, कक्षा ७, अपना घर
bahut khub
जवाब देंहटाएंshekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/\
nice
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंये बात..बहुत बढ़िया. वेरी गुड आदित्य!
जवाब देंहटाएंआदित्य बहुत सुन्दर कविता लगी
जवाब देंहटाएंlove ya