रविवार, 18 अप्रैल 2010

कविता: घड़ी

घड़ी

समय हमें बतलाती है,
नाम घडी कहलाती है
जब घडी गलत हो जाता है,
तब समय गलत हो जाता है
आगे करो या पीछे घड़ी,
असमंजस में पड़ता आदमी
जब भी जल्दी हो देता काम,
ऐसे काम का यही है दाम
समय हमें बतलाती है,
नाम घडी कहलाती है
लेखक: सोनू कुमार, कक्षा ८, अपना घर

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