एक दिन राजा बोले रानी से ,
आलू लाओ जाकर खेतो से।
रानी बोली मै नहीं जाउंगी खेतो में,
चाहे मुझको रखो न तुम अपने घर में।
सुनकर रानी की ऐसी बानी,
राजा पीने लगे जल्दी से पानी ।
राजा बोले मैंने तो मजाक किया,
तुमने उसको सच मान लिया।
तुम तो हो इस घर की रानी,
समझा करो तुम मेरी बानी।
रानी बोली ऐसा मजाक न मुझसे करना,
चली जाउंगी मायके तब पछताते रहना।
राजा बोले माफ़ करो चुप हो जाओ रानी,
भूख लगी है लाओ जल्दी दे दो खाना पानी।
किसकी कविता किसकी कहानी,
राजा रानी की ख़त्म हुई कहानी।
लेखक: आशीष कुमार, अपना घर, कक्षा ७
bahut sundar rachna
जवाब देंहटाएंbandhai aap ko is ke liye
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com
Ashish,
जवाब देंहटाएंaap bahut pyari kavita likhte ho...aise hi likhte rehna.
mujhe aapki agli kavita ka intejaar rahega.
aapki,
Divya didi
पहली बार यहाँ आया हूँ , अच्छा लगा , बच्चो के लिए समर्पित ये ब्लॉग शानदार है , मै अब कुछ दिन में मै कहानी सुनने लायक हो जाउंगा तब पापा , इस ब्लॉग से की कहानी मुझे सुनायेंगे . आप मेरे ब्लॉग पर आये आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंhttp://madhavrai.blogspot.com/
बहुत प्यारी कविता. :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा ये राजा रानी की कहानी बहुत सुन्दर लगी.....
जवाब देंहटाएंlove ya