रविवार, 11 अप्रैल 2010

कविता :सुनो पर्यावरण की आवाजें

सुनो पर्यावरण की आवाजें

पर्यावरण और कल कल झरनों की आवाज
महसूस करो दोस्तो गंगा-यमुना की आवाज
एक समय ऐसा भी था
गंगा-यमुना समुन्दर जैसी थी
गंगा-यमुना के पानी से
क्यों कर रहे हैं कोका-कोला तैयार
क्या तुम्हें याद हैं एक बात
पड़ गया था पानी का आकाल
उस समय येसा था
गंगा-यमुना में पानी कम था
गंगा-यमुना को है बचाना
वातावरण को है सुन्दर बनाना


लेखक :सागर कुमार
कक्षा :
अपना घर

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