मंगलवार, 2 मार्च 2010

कविता -रात को मुझको सपना आया

रात को मुझको सपना आया

हमने है एक कविता बनाया ,
जिसका तुका ना मिला पाया
चटनी के बिन समोसा खाया ,
सब्जी के बिन रोटी खाया
रोड पर जाकर गाड़ी चलाया ,
आसमान में जहाज उड़ाया
कच्चे - कच्चे ईंटों को बनाया ,
भट्ठों में घोंड़ो को चलाया
रात को अच्छा खाना खाया ,
बेड पर जाकर मैं फिर सोया
आखें खोला तो अपने को बिस्तर पर पाया,
पता चला कि मुझको रात को सपना आया

लेखक : आदित्य पाण्डेय, कक्षा : , अपना घर

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