शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

कविता -माचिस की तीली

माचिस
माचिस की तीली है बड़ी अलबेली ,
काम करती है अकेली ........
नहीं किसी से मदद लेती ,
सबको रोशनी है देती ..........
उसकी एक तीली पर ,
उसकी एक चिंगारी पर ........
आग जल जाती है ,
खाना बनाने में वह मदद करती है ...
घर में आग लगती है ,
मृत्य शरीर को जलती है .........
एक माचिस की तीली पर,
दुनिया जल जाती है ..........
लेकिन इसका एक उपाय है,
जो हमारे पास है...............
आग अगर लग जाती है ,
पानी उसे बुझाती है ..........
आग को शांत कराती है ,
माचिस की तीली है बड़ी अलबेली ,
काम करती है अकेली ..............
लेखक :मुकेश कुमार "उत्साही "
कक्षा :८
अपना घर ,कानपुर

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