कुत्ता राजा
कुत्ता राजा आया था ।
पुस्तक साथ में लाया था ॥
बिल्ली रानी अध्यापक थी ।
साथ में खड़िया लाई थी ॥
कुत्ते ने बिल्ली से पूछा ।
कहाँ लगाती हो तुम कक्षा ॥
मैं भी पढ़ने आउगा ।
साथ में पुस्तक लाउगा ॥
पढ़ना- लिखना सीख जाउगा ।
क ख ग का गुण गाउगा ॥
बिल्ली बोली कुत्ता राजा ।
तुम न बजाओ घर में बाजा ॥
पढ़ने में लगाओ मन ।
साफ़- सुथरा रखो अपना तन ॥
तुम पढ़ -लिख जाओगे ।
देश का नाम कराओगे ॥
लेखक -मुकेश कुमार
कक्षा -८
अपना घर
सोमवार, 11 जनवरी 2010
गुरुवार, 7 जनवरी 2010
कविता बड़ी मजा आती
बड़ी मजा आती
जिसमें लेन-देन का करते हिसाब ।
अंको का करते उपयोग प्रयोग ॥
सभी करते हैं इसका प्रयोग हैं ।
जिसको हम सब गणित कहते हैं ॥
इसके बिन हिसाब लगाना मुश्किल ।
गणित बिन जीना है मुश्किल ॥
बिना पड़े-लिखे जीवन में आती ।
बच्चों को पड़ने में बड़ी मजा आती ॥
सवाल लगाने में बड़ी दिक्कत होती ।
जैसे- जैसे कक्षायें बढ़ती॥
गणित का स्थल भी बढ़ता ।
सवाल हल करने में बड़ी मजा आती ॥
लेखक -अशोक कुमार
कक्षा -७
अपना घर
जिसमें लेन-देन का करते हिसाब ।
अंको का करते उपयोग प्रयोग ॥
सभी करते हैं इसका प्रयोग हैं ।
जिसको हम सब गणित कहते हैं ॥
इसके बिन हिसाब लगाना मुश्किल ।
गणित बिन जीना है मुश्किल ॥
बिना पड़े-लिखे जीवन में आती ।
बच्चों को पड़ने में बड़ी मजा आती ॥
सवाल लगाने में बड़ी दिक्कत होती ।
जैसे- जैसे कक्षायें बढ़ती॥
गणित का स्थल भी बढ़ता ।
सवाल हल करने में बड़ी मजा आती ॥
लेखक -अशोक कुमार
कक्षा -७
अपना घर
सोमवार, 4 जनवरी 2010
कविता मैने उसको पटका
मैने उसको पटका
रात को मैं जा रहा था ।रास्ते में कुत्ता सो रहा था ॥
अकेला समझ के मुझ पर दौड़ पड़ा ।
लिए था मैं एक मोटा डंडा ॥
जैसे उसने मुझको पकड़ा ।
झट से मैने उसको पटका ॥वापस घर को चलता बना ।
रात को मैं जा रहा था । ।लेखक अशोक कुमार कक्षा ७ अपना घर कानपुर
कविता - तैयार
तैयार
हम रहते हैं हमेशा तैयार ।
परीक्षा में नंबर लायेंगे हजार ॥
हम अपने वतन का नाम लेगे बार- बार ।
हम रहते हैं हमेशा तैयार ॥
हम लोगों से कहवायें बार- बार ।
जय- जय भारत महान ॥
हम अपने सर-जमीं के है पूरा हक़दार ।
चाहें मिट जाएँ चाहें लुट जाएँ ॥
लेकिन वतन का झंडा नहीं देगें गिरने एक भी बार ।
परीक्षा में नम्बर लायेंगे हजार ॥
अपने वतन का नाम लेगें बार- बार ।
हम रहते हैं हमेशा तैयार ॥
हम रहते हैं हमेशा तैयार ।
परीक्षा में नंबर लायेंगे हजार ॥
हम अपने वतन का नाम लेगे बार- बार ।
हम रहते हैं हमेशा तैयार ॥
हम लोगों से कहवायें बार- बार ।
जय- जय भारत महान ॥
हम अपने सर-जमीं के है पूरा हक़दार ।
चाहें मिट जाएँ चाहें लुट जाएँ ॥
लेकिन वतन का झंडा नहीं देगें गिरने एक भी बार ।
परीक्षा में नम्बर लायेंगे हजार ॥
अपने वतन का नाम लेगें बार- बार ।
हम रहते हैं हमेशा तैयार ॥
शनिवार, 2 जनवरी 2010
कविता - देश
कविता
देश राष्ट्र का करो सम्मान ।
पढो लिखो और बनो महान ॥
आंधी तूफान से डरो न तुम ।
आगे बढाओ कदम कदम ॥
जब तक रहो कर्तब्य पहचानो ।
नही किसी से डरना जानो ॥
हक़ को अपने तुम पहचानो ।
देश पर अपने मरना जानो ॥
सिर्फ यही आपकी पहचान ।
पढो -लिखो और बनो महान ॥
देश राष्ट्र का करो सम्मान ।
पढो लिखो और बनो महान ॥
आंधी तूफान से डरो न तुम ।
आगे बढाओ कदम कदम ॥
जब तक रहो कर्तब्य पहचानो ।
नही किसी से डरना जानो ॥
हक़ को अपने तुम पहचानो ।
देश पर अपने मरना जानो ॥
सिर्फ यही आपकी पहचान ।
पढो -लिखो और बनो महान ॥
लेखक - सोनू कुमार
कक्षा -७
अपना घर
कक्षा -७
अपना घर
शुक्रवार, 1 जनवरी 2010
कविता भय है इस संसार से
कविता
डर लगता है इस संसार से ।
कोई न कोई डरता है एक दूजे से ॥
जीव जन्तु डरते है मानव से ।
मानव डरते है जीव- जन्तु से॥
अब हम न किसी का नुकसान करेगे ।
और न किसी से हम डरेगे ॥
हम सब मिलकर एक दूजे का साथ देगे।
एक दूजे की हम रच्छा करेगे ॥
डर लगता है इस संसार से ।
कोई न कोई डरता है एक दूजे से ॥
जीव जन्तु डरते है मानव से ।
मानव डरते है जीव- जन्तु से॥
अब हम न किसी का नुकसान करेगे ।
और न किसी से हम डरेगे ॥
हम सब मिलकर एक दूजे का साथ देगे।
एक दूजे की हम रच्छा करेगे ॥
लेखक -हंसराज
कक्षा -६
अपना घर
कक्षा -६
अपना घर