रविवार, 8 दिसंबर 2024

कविता :"समुद्र "

"समुद्र "
समुद्र के किनारे बैठ कर,
लहरों को देखना है| 
कैसे आता है और चला जाता है,
हमको समुद्र पार जाना है| 
पर समुद्र में क्या पता क्या होगा?
समुद्र के किनारे बैठ कर,
लहरों को देखना है| 
लहरों की आवाज कानो में सुनाई देती है,
ऐसा लगता है कुछ संदेसा लाकर 
कहना चाहती है|  
समुद्र के किनारे बैठ कर ,
लहरों को देखना है| 
कवि :रमेश कुमार , कक्षा :4th 
अपना घर 

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