रविवार, 25 अगस्त 2024

कविता :"संघर्ष "

"संघर्ष "
देख है हजारों की संघर्ष,
जब नहीं थे चीजे उपलब्ध | 
लोगो में थे आपसी संबंध ,
न थी एक दूसरे के प्रति घमंड | 
उम्मीदों की छाया बनते थे वह सब ,
मुशीबतो के  आने पर ,
जीत हो या हर हो 
संघर्ष जारी रहता था | 
देखा है हजारों की संघर्ष ,
जब नहीं थी चीजे उपलब्ध | 
कवि : अमित कुमार 
कक्षा : 10th 

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