गुरुवार, 16 मई 2024

कविता :"हाँ सीखा मैंने "

"हाँ सीखा मैंने "
गिर -गिर कर मैंने चलना सीख लिया,
गलती कर-कर के वो चीज करना सीख लिया | 
छोटी -छोटी प्रयासों से ही मैंने ,
कठिनाइओं से लड़ना  सीख लिया | 
कठिनाईओ से लड़ -लड़ कर मैंने ,
जिंदगी को जीना सीख लिया | 
आगे बढ़ -बढ़ के रास्तों पर ,
कैसे चलना है मैंने वो भी सीख लिया | 
गिर -गिर कर मैंने चलना सीख लिया ,
मेरे जिंदगी ने और कुछ भी सिखाया | 
मैंने वो भी सीख लिया ,
गलती कर-कर के वो चीज करना सीख लिया | 
कवि :गोविंदा कुमार ,कक्षा :8th 
अपना घर 

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