मंगलवार, 14 मई 2024

कविता:"वह लड़का "

"वह लड़का "
कड़क धूप में भी गुनगुनाता है ,
बरसती बरसात में भी चलता है | 
हर बार फिसलता है ,हर बार घिसटता है | 
हिम्मत हर कर भी नहीं रूकता है ,
वह लड़का है जो सारे आसूं पी जाता है | 
सबके ताने सह जाता है ,
हर गम झेल जाता है 
हर पल धोखा दे जाता है | 
हिम्मत हर कर भी नहीं रूकता है ,
वह लड़का जो सरे आंसू पी जाता है | 
कभी जब फेल होता है ,
सब कहते है तू करेगा जिंदगी में 
ये सब सुनकर भी हँसता रहता है | 
हिम्मत हार कर भी नहीं रूकता है ,
वह लड़का है जो सारे आंसू पी जाता है | 
कवि :सुल्तान ,कक्षा :10th 
अपना घर 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें