बुधवार, 19 जुलाई 2023

कविता:"अनोखा "

"अनोखा "
 सब सोचते है कुछ  अनोखा कर जाऊ | 
अपने भारत देश नाम रोशन कर जाऊ 
सफलता की हर एक सीढ़ी पर | 
संघर्ष के  राह छोड़ जाऊ 
उगते सूरज की तरह | 
एक रोशनी का दीप बनकर बिखर जाऊ 
बहती नदिंया के लहरों में दिशा बन जाऊ |  
समुद्र तक छोड़ने  उसका साथी बन जाऊ 
सब सोचते है कुछ अनोखा कर जाऊ | 
टूटे रिश्ते में एक प्यार बन जाऊ 
सब लोग भाई चारा से रहे | 
ऐसा एक देश बन जाऊ 
कवि :अमित कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर 

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