बुधवार, 7 जून 2023

कविता :"खिड़की के पास"

"खिड़की के पास"
 आज मै  बैठा था खिड़की के पास | 
देख रहा था मै उस पार 
पेड़ -पौधे लगे थे आस पास | 
उस पर चिड़िया फुदक रही थी डाल डाल 
कोयल थी अपने में बेहाल | 
कुहक -कुहक कर पूँछ रही थी हालचाल 
होगया सवेरा अब उठ जाओ|  
देखो कैसा है नजारा 
उसमे तुम मगन हो जाओ | 
कवि :नितीश कुमार ,कक्षा :12th
 अपना घर  

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