बुधवार, 23 नवंबर 2022

कवित: " जिंदगी है बहते सागर जैसा "

" जिंदगी है बहते सागर जैसी "

जिंदगी यह बहता सागर की तरह है ।

जिंदगी का कोई तो छोर होगा ,

सागर के बहते लहरों में ,

अपने हौसलों को बनाया है ।

इन नन्ही चीटियों को देखकर,

हर विपत्ति से लड़ने का हौसला आया है ।

अपने लक्ष्य की ओऱ बढ़ते क़म,

मुशीबतों को देखकर पीछे न होगा।

जिंदगी एक बहता सागर की तरह है,

इस जिंदगी का कोई तो छोर होगा ।

कवी: संजय कुमार ,कक्षा 12TH 

अपना घर 

 


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