बुधवार, 9 मार्च 2022

कविता : " होली का त्यौहार"

" होली का त्यौहार" 

 होली का त्यौहार ही | 

कुछ ऐसा है ,

जिसमे सब के चेहरे खिले होते है | 

और रंगलगाने का तरीका तो देखो ,

पहले अबीर फिर रंग लगाते है | 

होली का त्यौहार ही कुछ ऐसा है ,

जिस में बुरा मानने का त्यौहार नहीं | 

सब लोग मिल जुल कर खेलते है ,

होली का त्यौहार ही कुछ ऐसा है| 

कवि : महेश कुमार , कक्षा : 7th 

अपना घर

 

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