मंगलवार, 1 मार्च 2022

कविता : "वायु प्रवाह "

"वायु प्रवाह "

 जन्म लेते ही हमसे मिल जाए | 

साथ वो छोड़े मरने पर ,

न देखें वो राज महल को | 

और न जाने निर्धन -घर ,

कभी ममता मयी स्पर्श देती | 

कभी चूमे सबके मन को ,

सब को यह एहसास कराये | 

सुख न केवल है दुनियाँ में ,

कष्ट भी मिलता है तन को |

हिन्दू -मुस्लिम को न जाने सब जाने इंसान ,

उसी के दम से दुनियाँ सारी वरना है श्मशान | 

कवि : राहुल कुमार , कक्षा : 8th 

अपना घर

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