बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

कविता : "जब -जब मुझको कुछ याद न आता "

"जब -जब मुझको कुछ याद न आता "

जब -जब मुझको कुछ याद न आता | 

 तो तेरी याद आती है ,

मेरी नजरें ढूढे तुझे | 

क्या तू मेरे पास बैठी है ,

जब भी मैं कुछ गलती करता | 

मुझको माफ़ तू करती है ,

लेकिन क्या है खाश तुझमे | 

जो तू मेरी गलती सहती है ,

जब भी मै फोन करता | 

मैं कैसा हूँ ,खाना खाया ,न खाया ,

पहले पूछती हूँ | 

मेरी माँ तू ही तो है ,

जो मुझसे प्यार करती है | 

कवि : महेश कुमार , कक्षा : 7th 

अपना घर 


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