मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

कविता : "कल -कल करते है सब "

"कल -कल करते है सब "

कल -कल करते है सब | 

फस गए है हम अब ,

हर काम में आ जाता है कल | 

पर कब आता है ये कल ,

काम से बचने का अच्छा तरिका | 

सबका कल इसी कल पर टिका ,

हर चीज में होता है कल | 

जीवन बिता पर ख़त्म न हुआ ये कल ,

किसने ये शब्द बनाया | 

सारी दुनियाँ को इसने है सताया ,

कल -कल करते है सब | 

कवि : कुल्दीप कुमार , कक्षा : 10th 

अपना घर

 

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