बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

कविता : " नया कुछ करने का"

" नया कुछ करने का"

 अब जा के मन को राहत मिल रहा | 

फूलो के होटो पर एकनया मुस्कान खिला रहा है ,

चहचाती हुए चिड़िया भी | 

एक दूसरे से मिल रहा ,

गिलहरी की आवाज | 

मन को छू जा रहा ,

मन को न मिले | 

पर गिलहरी को राहत मिल पा रहा ,

ये फाल्गुन के मौसम में मन करता है | 

 कुछ नया करने का ,

आगे बढ़ने का और राह पर चलने का | 

ये फाल्गुन के मौसम में मन करता है ,

नया कुछ करने का | 

कवि : अजय कुमार , कक्षा : 7th 

अपना घर


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