शनिवार, 19 फ़रवरी 2022

कविता : " धुआँ है कितना खराब "

धुआँ है कितना खराब "

 धुआँ है कितना खराब | 

पेड़ -पौधों को कर देता है खराब ,

धुआँ अब नहीं फैलाना है | 

सुद्ध ऑक्सीजन पाना है ,

हमें बिमार अब नहीं पड़ना है | 

अधिक से अधिक पेड़ लगाना है ,

धुआँ है कितना खराब |

पेड़ -पौधों को कर देता है खराब ,

कवि : गोपाल कुमार , कक्षा : 4th 

अपना घर

 

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