शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

कविता : "मन की चाह को कहाँ से शुरुआत करुँ "

"मन की चाह को कहाँ से शुरुआत करुँ "

 कहाँ से शुरुआत करू | 

आँगन आसमान लंबी -चौड़ी ,

सागर या वसुधरा | 

अपनी मन की चाह को ,

कहाँ से शुरुआत करुँ |

बीत गया सालों -साल ,

मन की चाह को कहाँ से शुरुआत करुँ | 

देखा था जो आँखों से अब देखनाचाहू न ,

बोला था जो मुँह से अब दोबारा कहना चाहू न | 

गलत सुना हुआ कानो से ,

सुनना और सुनाना किसी को चाहू न | 

अब दोबारा क्यों न सुनू ,

मन की माग कब और कैसे पूरी करुँ | 

कवि : पिन्टू कुमार , कक्षा : 6th 

अपना घर 

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