शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2022

कविता : "अपने मंजिल को पाने के लिए "

"अपने मंजिल को पाने के लिए "

शाम सूरज को ढलना सिखाती है | 

शमा परवाने को जलना सिखाती है ,

गिरने वालों को होती है तकलीफ | 

पर ठोकर ही इंसान को ,

आगे का रास्ता दिखाती है |  

हर तकलीफ से जूझती है ,

अपने मंजिल को पाने के लिए | 

हर गलतियों को माफ करती है,

कवि : राहुल कुमार , कक्षा : 8th 

अपना घर 

2 टिप्‍पणियां: