मंगलवार, 11 जनवरी 2022

कविता : " आओ तुम्हे सपनो के गलियों की सैर कराऊँगा"

" आओ तुम्हे सपनो के गलियों की सैर कराऊँगा"

कुछ बातें आओ मै तुमको सुनाता हूँ | 

इस सुनसान में नहीं आओ ,

तुम्हे सपनो के दुनिया में ले जाता हूँ | 

चाँद -तारे के गलियारों में तुम्हे घुमाउँगा ,

अगर वक्त बचे तो सूरज के घर भी ले जाउँगा | 

तितलियोँ से मिलाकर उनसे बाते करवाउँगा ,

रैंबो को बहका कर उसके रंग चुरा लाऊंगा | 

फूल के पंखुड़ियों से नाव बना कर ,

तुम्हे उस छोर ले जाऊंगा | 

ये बात मैं सबको बताऊंगा ,

आओ तुम्हे सपनो के गलियों की सैर कराऊँगा | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 12th 

अपना घर

 


3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (12-01-2022) को चर्चा मंच     "सन्त विवेकानन्द"  जन्म दिवस पर विशेष  (चर्चा अंक-4307)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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  2. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर सपनों का घर
    लाजवाब।

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