सोमवार, 10 जनवरी 2022

कविता : " माँ "

 " माँ "

जब आँख खुली थी आँगन में | 

तो माँ का एक सहारा था ,

माँ का नन्हा दामन मुझको | 

दुनिया से भी प्यारा था ,

उसी गोद में रहना हर पल | 

मेरा आसमान में उड़ने जैसा था ,

चाहे कितना भी हो जाऊ बड़ा | 

आज भी तेरा बच्चा हूँ , और कल भी बच्चा था ,

जी करता माँ रहू मैं तेरे पास हर पल | 

जब आँख खुली थी आँगन में ,

तो माँ ला एक सहारा था | 

कवि : महेश कुमार , कक्षा : 7th 

अपना घर

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