बुधवार, 9 जून 2021

कविता : "जून की गर्मियाँ "

"जून की गर्मियाँ  "

याद रहे या न रहे | 

वो फरवरी की माह में झड़ती पत्तियाँ,

बाग -बगीचों में चहचहाटे | 

और खिलते फूलों की कलियाँ,

भूल कर भी न भूल  पाते  है | 

वो जून की गर्मियाँ ,

सुबह का सूर्योदय|

हवाओ को करवटे ,

गर्मी से भीग उढ़ते है| 

शरीर के हर रोंगटे ,

फलदार भी खूब बुलाता है | 

पेड़ो के आम से भरी शाखा है,

तरबूज, खरबूज खूब लुकाता है | 

ये ही जून की गर्मी की याद दिलाता है, 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 12 

अपना घर


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