शुक्रवार, 11 जून 2021

कविता :" ये जीवन चींटी चाल चलता "

" ये जीवन चींटी चाल चलता "

ये जीवन चींटी चाल चलता | 

कोई रास्ता मालूम न पड़ता ,

कोई दास्ता सुनाने को न रखता | 

बस पल -पल की ठोकर खा कर ,

आगे ही आगे बढ़ता है जाता | 

हर मुसीबतो का सामना करता,

हर रास्ता अनजान है उसका | 

न खुद का कोई पहचान है उनका,

कहाँ जाकर रुकेगा | 

मालूम न पड़ता ,

क्योकि ये जीवन चींटी चाल चलता | 

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 11 

अपना घर

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