मंगलवार, 25 मई 2021

कविता : "हाय ये गर्मी"

"हाय ये गर्मी"

हाय ये गर्मी ने मार डाला,

सूरज का भी बड़ा है पारा | 

टप -टप टपक रहा है पसीना,

पैर -हाथ हो या सीना | 

गरम हवाएं के झोके ख़तर नाक ,

लू से बचकर रहना मेरे यार | 

लाइट से भी हो गए हम परेशान,

न सुबह न रात में अब आराम | 

हाय ये गर्मी ने मार डाला ,

सूरज का भी बड़ा है पारा | 

बाहर घूमना हो गया बेकार,

कोरोना और गर्मीका है वॉर | 

हाय ये गर्मी ने मार डाला ,

सूरज का भी बड़ा है पारा | 

कवि : कुलदीप कुमार ,कक्षा :10 

अपना घर


 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें