शुक्रवार, 21 मई 2021

कविता :अगर हो जाए हम एक साथ खड़े

 

"अगर  हो  जाए  हम  एक  साथ खड़े "

 अगर  हो  जाए  हम  एक  साथ खड़े 

इस महामारी   में एक साथ लड़े 

एक दूजे को सर्तक करबाना  है 

इस समय  कोशिश है कि जान बचाना है 

कही भी जाना , मास्क अवश्य  लगाना 

झुण्ड में न रह , दो गज दूरी  बनाना है 

खासी या जुखाम , आए तो डॉक्टर  के संपर्क में आना है 

चाहे हो जितनी  जिल्लत फिर  भी एक जोर लगाना है 

इस कोरोना काल में एक दूजे का साथ निभाना है

कवि :प्रांजुल कुमार , कक्षा : 12 

अपना घर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें