रविवार, 11 अप्रैल 2021

कविता : " काश मै हवा बन जाऊ "

 "  काश मै हवा बन जाऊ "

 काश मै हवा बन जाऊ ,

हर गली -मोहल्ले  सेगुजर  जाऊ | 

बाग़ - बगीचे में सैर कर आऊँ  ,

जब चाहे मन करता | 

तब मै  उड़ता फिरुँ  ,

पेड़ -पौधे के साथ | 

खूब मौज -मस्ती करुँ , 

शाम डलने पर चुपचाप शांत हो जाऊँ | 

मै तो बस हवा हूँ ,

मुझे पूरी दुनिया को जीवित है रखना | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

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