शुक्रवार, 26 मार्च 2021

कविता : " जिंदगी की ये मोड़ कहाँ आ गई "

  " जिंदगी की ये मोड़ कहाँ आ गई "

जिंदगी की ये मोड़ कहाँ आ गई ,

दसवीं से आगे जाने में बीत गई | 

क्या पढू क्या न पढू तय करने मे समय बीत  गया ,

बाकी सभी लोगो का टेंथ एलेन्थ और ट्वेल्व्थ आ गया | 

और दसमी  पड़ते -पड़ते बोर हो गया   ,

पढू तो सब याद रहे मौज मस्ती में भूल जाऊ | 

अपना दुख किसी को न कह पाऊ ,

 पेपर हाथ में लू तो सब भूल जाऊ | 

पर नंबर न जाने कहाँ खो जाए ,

अब तो बोर्ड की घडी आ गई | 

और कोरोना बढ़ने की खबर आ गई ,

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

 

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