शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

कविता:-युहीं नहीं इन्हें किसान कहा जाता है

 "युहीं नहीं इन्हें किसान कहा जाता है"
युहीं नहीं इन्हे किसान कहा जाता है।
 कुछ खास तो बात है इनमे।।
जो हर फसल में जान डाल जाते है। 
कभी काली घटा जो किसानों को।।
खुशियाँ बाँट चले जाते है।
क्योंकि पानी को देखकर।।
 जीने की आस बढ़ जाती है। 
हर तरफ खुशियाँ और।।
खेत लहलहा उठाते हैं।
किसान अपनी खुशियों को।।
आशुओं से बयाँ कर जाते हैं।
हर त्यौहार और खुशियाँ में जब।।
नए-नए व्यंजनों से भर जाते है।
 ये वही किसान है जो ।।
जात पात न देखकर।
सभी के घरो में अन्न पंहुचा आते है।।
ये किसान ही है जो।
सभी के दुःख दर्द को समझ जाते है।।
चूल्हा जलने का कारण भी।
ये किसान ही माने है।।
युहीं नहीं इन्हें अन्नदाता कहा जाता है।
बहुत सारा मेहनत छुपा होता है।।
माँ बेटे का रिश्ता होता है जमीन से। 
युहीं नहीं इन्हें किसान कहा जाता है।।
कविः- जमुना कुमार, कक्षा -12th, अपना घर, कानपुर,
 

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