शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

कविता:- पेड़

"पेड़"
एक पेड़ हमेशा सुनसान सा लगता है।  
पूरी दुनियाँ हिलती है पर।। 
खुद एक जगह पर खड़ा रहता है।
ये एक वही पेड़ है।। 
जो एक बीज से उत्पन्न हुआ।
खुद अपना फल नहीं खाता।। 
पर दुसरों को देता है दुआ।
मन उदास होकर औरों को छाँव देता।।
पर वक्त के हालात उन्हें काट देता।
हम सभी को सपथ लेना होगा।। 
अब एक पेड़ नहीं दो पेड़ लगाना होगा।
   कविः -प्रांजुल कुमार ,कक्षा -11th ,अपना घर ,कानपुर ,

कवि परिचय :- यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं।  प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है।  प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं। प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है।

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