बुधवार, 6 जनवरी 2021

कविता:- ये जोखिम भरा जमाना

"ये जोखिम भरा जमाना"
ये जोखिम भरा जमाना।
न जाने कब होगा ख़त्म।।
लगता है जिंदगी को दे जायेगा।
गहरा एक जख्म।।
हर गली हर मोहल्ले में। 
बस एक ही बीमारी चल रही है।। 
खतरों से भरी दिख रही है। 
आने वाला कल है।।
आने वाला हर एक दिन।
हर एक के लिए काल है।।
कल कुछ नहीं कर पाता क्यों।
इस धरती का हर मनुष्य ही।।
काल के लिए महाकाल है। 
कविः- समीर कुमार, कक्षा - 10th, अपना घर, कानपुर,
कवि परिचय:- ये समीर कुमार है। उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के रहने वाले है। इन्हे संगीत में बहुत रूचि है। ये बड़े  गायक बनाना चाहते है। ये कविता भी अच्छी लिखते है।
 

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