सोमवार, 25 जनवरी 2021

कविता:- मोती सी चमक

"मोती सी चमक"
मोती सी चमक।
घासों में नजर आता है।।
वह मनोरम खुशबू।
सिर्फ फूलों से महक आते है।।
चाँद की रोशनी में भी।
सितारे नजर आते है।।
वह ओश की बूंद।
दरवाजे पर दस्तक दे जाते है।। 
मै रोज टहलता हूँ सुबह।
कोहरा ही कोहरा नजर आता है।।
इस ठंडे हवा के झोकों से। 
ओश फिसल जाता है।।
 और जमीन पर गिरकर। 
मिट्टी के संग मिल जाता है।।
कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा - 6th , अपना घर, कानपुर  
कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है। जो की बिहार के रहने वाले हैं। सुल्तान कवितायेँ बहुत अच्छी लिखतेहैं। सुल्तान पढ़ाई के प्रति बहुत ही गंभीर रहते हैं।  
 

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