मंगलवार, 10 नवंबर 2020

कविता :-क्या यही इंसानियत है

"क्या यही इंसानियत है"
क्या यही इंसानियत है।
बेवस को देखकर मुँह मोड़ लेना।।
रिश्तों में धोखा-धड़ी।
जरुरत में अकेले छोड़ देना।।
खुद की ख़ुशी के खातिर।
दूसरों को झकझोर देना।।
अपनी बात मानाने के लिए। 
लोगो पर दबाव देना।।
न मानने पर हाथ छोड़ देना। 
दूसरों की परवाह किये बिना।।
अपनी मनमानी करते रहना।
किसी का मजे लेकर।।
उसे शर्मिन्दगी महसूस करना।
बस पूछना चाहता हूँ ।।
क्या यही इंसानियत है।
कविः-देवराज कुमार ,कक्षा -10th ,अपना घर ,कानपुर ,

कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं।  और अपना घर में रहकर  ये पढ़ाई कर रहे हैं।  देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं। | देवराज डांस बहुत अच्छा कर लेते हैं। और साथ ही साथ  अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं।



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