"प्रकृति का मनमोहक नजारा"
प्रकृति का मनमोहक नजारा।
मन करता है देखूँ दोबारा।।
इतना सुन्दर लगे इनका इशारा।
सभी की नजरें अपनी ओर निहारा।।
सुनहरी सुबह से ढलती शाम तक ।
चमकते सूरज से चाँदनी रात तक।।
एक - एक कण में दिया उजियारा।
मन करता है देखूँ दोबारा।।
पेड़ की टहनियों से आसमां की ऊंचाई तक ।
जमी से लेकर समुंद्र की गहरायी तक।।
छल -छल कल -कल आवाज दोहराया।
मन करता है देखू दोबारा ।।
प्रकृति का मनमोहक नजारा।
कविः -प्रांजुल कुमार , कक्षा - 11th ,अपना घर ,कानपुर,
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