मंगलवार, 20 अक्टूबर 2020

गरजने दो बादल को अब

" गरजने दो बादल को अब "

  गरजने दो बदल  को अब ,
बरसने दो पानी को अब |
मौसम है  हरियाली  का ,
 गायेंगे सब गीत खुशहाली  का ,
मेंढक खूब बोलेंगे | 
अपने  दिल की  राज  खोलेंगे ,
बच्चे कागज के कस्ती संग | 
 करेंगे मस्ती और तंग ,
बच्चे बूढ़े  और जवान |
 चलेंगे जब सीना तन ,
गिराने से चली जाएगी शान |
गरजने दो बादल को  अब,
बरसने दो  पानी को अब | 

कविः - शनि कुमार ,कक्षा, 9th, अपना घर,  कानपुर

 

 

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