शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

कविता : रात की चाँदनी में कटके तारे

" रात की चाँदनी में कटके तारे "

रात की चाँदनी अँधेरे में लटके तारे ,

संसार की जगत से देखो लगते प्यारे | 

 सोच में पड़ जाऊँ ये है कितने तारे ,

इसका जवाब देना मुश्किल है प्यारे | 

चाँद की रोशनी -रोशनी देते तारे ,

यू ही आकाश में घूमते बनके विचारे | 

काली अधिकार  की शोभा बढ़ते ,

सुबह होते ही गयाब हो जाते है | 

कितने सुन्दर लगेट है तारे ,

 बैढे बिस्तर पर नजरे निहारे | 


कवि : प्रांजुल  कुमार ,कक्षा : 11th ,अपना घर

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