गुरुवार, 3 सितंबर 2020

कविता : आओ चले कुछ सोचे

" आओ चले कुछ सोचे "

आओ चले कुछ सोचे ,

हाथ पर हाथ रख कर  बैठे |

जिंदगी में है तुम्हारे पास बहुत से कार्य,

इसीलिए नहीं करना तुम कभी आराम |  

जिस दिन जग गये  उसी दिन होगी शुरुआत ,

हर दिन अपना कार्य करते रहना | 

एक दिन जरूर लोगो तक फैलेगी तुम्हरी बात ,

उस दिन तुम्हरे लिए होगा खाश | 


कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

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