मंगलवार, 29 सितंबर 2020

कविता : बरसात की बूंदे

" बरसात की बूंदे "

बरसात की बूंदे ,

जब टपकती   हैं | 

उसकी आवाज सुने ,

मन बहकता हैं | 

पर मै कुछ बुँदे से ,

एक ही बात पूछता हूँ | 

क्या है इसकी रोने की आवाज ,

यही बस सोचता हूँ | 

अगर यह रोने की आवाज हैं ,

यह आवाज है तो हमे | 

 कोई आसमान से फेकता हैं ,


कवि  : अखिलेश कुमार  , कक्षा  : 10th , अपना घर

 


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