" गर्मी धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं "
गर्मी धीरे -धीरे बढ़ते जा रहे हैं ,
चारो और पेड़ मुरझा रहे हैं |
कोरोना से दुख पा रहे हैं ,
गर्मी धीरे -धीरे बढ़ते जा रहे हैं |
खुछ पौधे तैयार हो रहे हैं ,
गर्मी से हो रहे बेकार हो रहे हैं |
एसी लिए अपना धीरज खो रहे हैं ,
गर्मी धीरे-धीरे बढ़ते जा रहा है|
कवि : अजय कुमार ,कक्षा : 6th ,अपना घर
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं
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