मंगलवार, 1 सितंबर 2020

कविता : मौसम भी क्या महरबान है

"मौसम भी क्या मेहरबान है "

 मौसम भी क्या मेहरबान है ,

चारो ओर बारिश ही है | 

हर तरफ है हरयाली छाई ,

इस गर्मी  मौसम में परिवर्तन है आई | 

इस मौसम में इंसान है  हुआ ,

ना हो बीमारी मुझे फिर बचकर यहां वहा | 

हर वकत डर -डर के जी रहा है ,

मौसम भी क्या मेहरवान है | 

चारो और बारिश की ही शान है ,

कवि :संजय कुमार ,कक्षा : 10th ,अपना घर

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