शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

कविता : कोरोना का कहर

" कोरोना का कहर "

कोरोना का कहर ,

रहा नहीं ठहर | 

उसका डर हर किसी में ,

दम नहीं किसी दवा में,

जो रोक सके हवा में |

 दिन पर दिन बढ़ता जा रहा, 

पारा सब का चढ़ता जा रहा | 

कुछ लड़कर जित गए,

कुछ का समय बीत  गए |

सब को लग रहा जहर | 

कोरोना का कहर ,

रहा नहीं ठहर |

 कवि : अखिलेश कुमार ,कक्षा : 10th , अपना घर 

 

 

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