बुधवार, 12 अगस्त 2020

कविता : उड़ चले

" उड़ चले "

हर वन में हर उपवन मे,

पक्षियों की है जोरों से शोर |

उड़ती -उड़ती धरती की हर कोने में,

नई संदेशा  ला रही है | 

गगन की उचाई को छू जा रही है | 

अपनी फुर्तीली उड़ान से,

 पूरी दुनिया  घूमना चाह रही है |

इसी तरह अपनी सफर वह पूरी करती ,

अपनी नई दुनिया की खोज में ,

उड़ चली अपनी पथ की ओर |

 

कवि  :पिंटू कुमार , :कक्षा  5th , अपना घर 

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