सोमवार, 13 जुलाई 2020

कविता : बारिश के दिन

" बारिश के दिन "

इस बारिश में नहाने का मन करता है
बस छत में यूँ ही झूमने का मन करता है
बारिश की बूँदों को भरना चाहता हूँ,
उन बूँदों को फिर प्रयोग करना चाहता हूँ |
बारिश में मेरा मन और भी तंदुरुस्त होता है,
जो सोचूँ वो काम अपने आप करने लगता है |
बारिश में नहाने का मन करता है | |
बारिश की बूँदें मुझे निराली लगती है,
चारों ओर बस हरियाली ही दिखती है |
बारिश के बाद ही हर कली खिलती है,
फिर उन कलियों में भँवरा मंडराती है |
बारिश का मौसम सुहावना होता है,
हर जीव  के लिए अनजाना होता है |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 11th , अपना घर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें